राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एक परिचय
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) भारत सरकार द्वारा 2007-08 में शुरू किया गया एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देश में खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करना और खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करना है। यह मिशन कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करके और किसानों को सहायता प्रदान करके भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मिशन का उद्देश्य
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं:
1. खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि: मुख्यतः चावल, गेहूं, दलहन, और मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाना।
2. उर्वरता और उत्पादकता में सुधार: मिट्टी की उर्वरता और सिंचाई की सुविधाओं में सुधार कर उत्पादन को बढ़ावा देना।
3. खाद्य असुरक्षा का उन्मूलन: गरीब और वंचित वर्गों के लिए खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
4. कृषि क्षेत्र में रोजगार सृजन: ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
मिशन का कार्यक्षेत्र
यह मिशन उन राज्यों और जिलों में केंद्रित है, जहां खाद्यान्न उत्पादन अपेक्षाकृत कम है। भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के तहत चयनित जिलों में इस मिशन का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
मिशन के अंतर्गत आने वाली फसलें
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन मुख्य रूप से चार प्रमुख खाद्यान्न फसलों पर केंद्रित है:
1. चावल
2. गेहूं
3. दालें
4. मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा आदि)।
मिशन के तहत उठाए गए कदम
1. उन्नत बीज वितरण: किसानों को उच्च उत्पादकता वाले उन्नत किस्म के बीजों की उपलब्धता।
2. खाद और उर्वरकों का वितरण: गुणवत्तापूर्ण खाद और जैव उर्वरकों की आपूर्ति।
3. कृषि यंत्रों की उपलब्धता: किसानों को ट्रैक्टर, पावर टिलर और अन्य कृषि उपकरण सब्सिडी पर प्रदान करना।
4. सिंचाई की व्यवस्था: जल संसाधनों का सही उपयोग और सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का विकास।
5. फसल सुरक्षा उपाय: कीटनाशक और जैविक नियंत्रण उपायों का प्रचार-प्रसार।
6. प्रशिक्षण और जागरूकता: किसानों के लिए कार्यशालाओं और शिविरों का आयोजन।
योजना का लाभ
1. किसानों की आय में वृद्धि: बेहतर बीजों का उत्पादन और बिक्री करके किसान अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं।
2. फसलों की बेहतर पैदावार: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के उपयोग से फसल की उपज में वृद्धि होती है।
3. कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: योजना से किसानों को बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलती है।
4. स्थानीय रोजगार का सृजन: बीज ग्राम योजना के तहत बीज उत्पादन और भंडारण इकाइयां स्थापित होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
मिशन की सफलता
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन ने अपने क्रियान्वयन के पहले चार वर्षों में चावल, गेहूं और दालों के उत्पादन में लगभग 20 मिलियन टन की वृद्धि दर्ज की। यह मिशन विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हुआ है, जिनकी कृषि भूमि सीमित और सिंचाई की सुविधाएं अपर्याप्त थीं।
मिशन के प्रभाव
1. खाद्यान्न आत्मनिर्भरता: भारत में खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी ने आयात निर्भरता को कम किया।
2. कृषकों की आय में वृद्धि: बेहतर उपज और सरकारी सहायता के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
3. ग्रामीण विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े।
4. पोषण सुरक्षा: खाद्यान्न की उपलब्धता से पोषण स्तर में सुधार हुआ।
चुनौतियां
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां भी आईं:
1. जलवायु परिवर्तन: फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव।
2. संसाधनों की कमी: कुछ क्षेत्रों में किसानों को उन्नत बीज, खाद और सिंचाई सुविधाएं समय पर नहीं मिलीं।
3. जागरूकता की कमी: किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी और उनका लाभ उठाने में कठिनाई।
4. बिचौलियों की समस्या: लाभकारी मूल्य का सीधा लाभ किसानों तक नहीं पहुंचा।
सुधार के उपाय
1. स्मार्ट कृषि तकनीकों का उपयोग: आधुनिक तकनीकों का प्रचार-प्रसार।
2. कृषि बुनियादी ढांचे का विकास: भंडारण और परिवहन सुविधाओं में सुधार।
3. प्रभावी निगरानी: योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता।
4. किसान सहभागिता: योजनाओं में किसानों की सक्रिय भागीदारी।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन ने भारत की खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इसे और प्रभावी बनाने के लिए चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। यह मिशन न केवल देश की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि किसानों की आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है। सही नीति निर्माण और क्रियान्वयन से यह मिशन भारत को “अन्न भंडार” के रूप में स्थापित करने में मददगार साबित हो सकता है।